लक्ष्य भेदने में सफल, तीव्र गति वाले कुम्भ के नुकीले बाणों से व्याप्त हुए वे वृक्ष भयानक शतघ्नियों (इंद्र के वज्र) के समान सुशोभित हो रहे थे। उस वृक्षों की वर्षा को कुम्भ ने अपने बाणों से खंडित होते हुए देख, महान शक्तिशाली और पराक्रमी वानरराज सुग्रीव व्यथित नहीं हुए।