श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 76: अङ्गद के द्वारा कम्पन और प्रजङ्घका द्विविद के द्वारा शोणिताक्षका, मैन्द के द्वारा यूपाक्षका और सुग्रीव के द्वारा कुम्भ का वध  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  6.76.42 
 
 
सहसाभिहतस्तेन विप्रमुक्तपद: स्फुरन्।
निपपात त्रिकूटाभो विह्वलन् प्लवगोत्तम:॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्क्षण ही अपने बाण से विद्ध होकर, विशाल पर्वत त्रिकूट की भाँति विशालकाय वानरश्रेष्ठ द्विविद व्याकुल हो गए और छटपटाते हुए अपने पाँव फैलाकर पृथ्वी पर गिर पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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