श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 76: अङ्गद के द्वारा कम्पन और प्रजङ्घका द्विविद के द्वारा शोणिताक्षका, मैन्द के द्वारा यूपाक्षका और सुग्रीव के द्वारा कुम्भ का वध  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  6.76.40 
 
 
तस्य तच्छुशुभे भूय: सशरं धनुरुत्तमम्।
विद्युदैरावतार्चिष्मद‍‍्द्वितीयेन्द्रधनुर्यथा॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  उसके हाथ में वह सुंदर धनुष, जिसमें बाण सजे थे, द्वितीय इन्द्रधनुष के समान अधिक शोभायमान हो रहा था। यह द्वितीय इन्द्रधनुष विद्युत और ऐरावत की प्रभा से युक्त था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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