श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 76: अङ्गद के द्वारा कम्पन और प्रजङ्घका द्विविद के द्वारा शोणिताक्षका, मैन्द के द्वारा यूपाक्षका और सुग्रीव के द्वारा कुम्भ का वध  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  6.76.37 
 
 
आपतन्तीं च वेगेन कुम्भस्तां सान्त्वयच्चमूम्।
अथोत्कृष्टं महावीर्यैर्लब्धलक्षै: प्लवंगमै:॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  आपत्ति में फँसी और वेग से भागती सेना को कुम्भ ने सान्त्वना दी और दूसरी तरफ़ महान पराक्रमी वानर, युद्ध में सफल होकर ज़ोर ज़ोर से गर्जना करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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