श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 76: अङ्गद के द्वारा कम्पन और प्रजङ्घका द्विविद के द्वारा शोणिताक्षका, मैन्द के द्वारा यूपाक्षका और सुग्रीव के द्वारा कुम्भ का वध  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  6.76.34 
 
 
द्विविद: शोणिताक्षं तु विददार नखैर्मुखे।
निष्पिपेष स वीर्येण क्षितावाविध्य वीर्यवान्॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर द्विविद ने अपने तेज़ नखों से शोणिताक्ष का चेहरा नोच लिया और उसे ज़बरदस्ती ज़मीन पर फेंककर पीस डाला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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