श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 76: अङ्गद के द्वारा कम्पन और प्रजङ्घका द्विविद के द्वारा शोणिताक्षका, मैन्द के द्वारा यूपाक्षका और सुग्रीव के द्वारा कुम्भ का वध  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  6.76.25 
 
 
तं दृष्ट्वा पतितं भूमौ खड्गं मुसलसंनिभम्।
मुष्टिं संवर्तयामास वज्रकल्पं महाबल:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  धरती पर पड़े हुए मूसल जैसे तलवार को देखकर महाबली प्रजङ्घने ने अपने वज्र के समान भयंकर मुक्का घुमाना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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