श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना  »  श्लोक 73-74
 
 
श्लोक  6.74.73-74 
 
 
तावप्युभौ मानुषराजपुत्रौ
तं गन्धमाघ्राय महौषधीनाम्।
बभूवतुस्तत्र तदा विशल्या-
वुत्तस्थुरन्ये च हरिप्रवीरा:॥ ७३॥
सर्वे विशल्या विरुजा: क्षणेन
हरिप्रवीराश्च हताश्च ये स्यु:।
गन्धेन तासां प्रवरौषधीनां
सुप्ता निशान्तेष्विव सम्प्रबुद्धा:॥ ७४॥
 
 
अनुवाद
 
  इसके बाद राजकुमार श्रीराम और लक्ष्मण दोनों ने उस महान औषधि की सुगंध ली और स्वस्थ हो गए। उनके शरीर से बाण निकल गए और घाव भर गए। उसी प्रकार अन्य सभी प्रमुख वानर वीर जो युद्ध में घायल हुए थे, वे सभी उस उत्कृष्ट औषधि की सुगंध से रात के अंत में सोकर उठे हुए प्राणियों की तरह क्षण भर में निरोग होकर खड़े हो गए। उनके शरीर से बाण निकल गए और उनका सारा दर्द दूर हो गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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