श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना  »  श्लोक 71
 
 
श्लोक  6.74.71 
 
 
तं वानरा: प्रेक्ष्य तदा विनेदु:
स तानपि प्रेक्ष्य मुदा ननाद।
तेषां समुत्कृष्टरवं निशम्य
लङ्कालया भीमतरं विनेदु:॥ ७१॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय वानरों ने उन्हें लौटते हुए देखा तो वे सब जोर-जोर से गर्जना करने लगे। उन्होंने भी उन सभी वानरों को देखकर बड़े हर्ष से सिंहनाद किया। उन सबके उस तुमुलनाद को सुनकर लंका के निवासी राक्षस और भी भयानक चीत्कार करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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