वायुदेवता के पुत्र हनुमानजी ऐसा प्रतीत हो रहे थे मानो विशाल पर्वत ही हों और उस चोटी पर विराजमान हों। जिस प्रकार भगवान विष्णु सहस्रधार और अग्नि की ज्वाला से युक्त चक्र को धारण कर अत्यंत शोभायमान होते हैं, उसी प्रकार हनुमानजी भी उस पर्वत शिखर पर सुशोभित दिखाई दे रहे थे।