श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना  »  श्लोक 64
 
 
श्लोक  6.74.64 
 
 
महौषध्यस्तत: सर्वास्तस्मिन् पर्वतसत्तमे।
विज्ञायार्थिनमायान्तं ततो जग्मुरदर्शनम्॥ ६४॥
 
 
अनुवाद
 
  तब उस श्रेष्ठ पर्वत पर रहने वाली सभी उत्तम औषधियाँ यह जानकर कि कोई हमें लेने के लिए आ रहा है, तुरंत अदृश्य हो गईं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.