श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना  »  श्लोक 61
 
 
श्लोक  6.74.61 
 
 
कैलासमग्रॺं हिमवच्छिलां च
तं वै वृषं काञ्चनशैलमग्रॺम्।
प्रदीप्तसर्वौषधिसम्प्रदीप्तं
ददर्श सर्वौषधिपर्वतेन्द्रम्॥ ६१॥
 
 
अनुवाद
 
  तदुपरांत उन्होंने कैलास पर्वत, हिमालय-शिला, शिवजी के वाहन वृषभ तथा सुवर्णमय श्रेष्ठ पर्वत ऋषभ को देखा। उसके पश्चात् उन्होंने सम्पूर्ण ओषधियों के उत्तम पर्वत पर दृष्टि डाली, जो सब प्रकार की दीप्तिमती ओषधियों से देदीप्यमान हो रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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