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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना
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श्लोक 56
श्लोक
6.74.56
स्मरञ्जाम्बवतो वाक्यं मारुतिर्भीमविक्रम:।
ददर्श सहसा चापि हिमवन्तं महाकपि:॥ ५६॥
अनुवाद
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महाकपि हनुमान् जी का बल अतिशय भयङ्कर था। उन्होंने जाम्बवान् जी के शब्दों को स्मरण करते हुए तुरंत ही हिमालय पर्वत का दर्शन किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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