श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  6.74.42 
 
 
आरुरोह तदा तस्माद्धरिर्मलयपर्वतम्।
मेरुमन्दरसंकाशं नानाप्रस्रवणाकुलम्॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् हरि वहाँ से आगे बढ़कर मेरु और मन्दराचल के समान ऊँचे मलय पर्वत पर चढ़ गये। वह पर्वत नाना प्रकार के झरनों से युक्त था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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