तस्मिन् सम्पीडॺमाने तु भग्नद्रुमशिलातले।
न शेकुर्वानरा: स्थातुं घूर्णमाने नगोत्तमे॥ ३९॥
अनुवाद
वह श्रेष्ठ पर्वत हनुमानजी के दबाव में आकर हिलने लगा। उसके वृक्ष और शिलाएँ टूट-फूटकर गिरने लगे। वानर वहाँ अधिक देर तक ठहर नहीं सके क्योंकि पर्वत घूम रहा था।