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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना
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श्लोक 38
श्लोक
6.74.38
तस्य पेतुर्नगा भूमौ हरिवेगाच्च जज्वलु:।
शृङ्गाणि च व्यकीर्यन्त पीडितस्य हनूमता॥ ३८॥
अनुवाद
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हनुमान जी के भार से पीडि़त उस पर्वत के पेड़ तेज वेग से टूटकर पृथ्वी पर गिर पड़े और कई जल उठे। साथ ही उस पहाड़ की चोटियाँ भी गिरने लगीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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