श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  6.74.35 
 
 
श्रुत्वा जाम्बवतो वाक्यं हनूमान् मारुतात्मज:।
आपूर्यत बलोद्धर्षैर्वायुवेगैरिवार्णव:॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  वायु के पुत्र हनुमान जी ने जामवंत जी की बातें सुनकर असीम बल से भर गए, ठीक वैसे ही जैसे वायु के आवेग से समुद्र लहरा उठता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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