मृतसञ्जीवनीं चैव विशल्यकरणीमपि।
सुवर्णकरणीं चैव संधानीं च महौषधीम्॥ ३३॥
अनुवाद
उनके नाम इस प्रकार हैं- मृतसञ्जीवनी, विशल्यकरणी, सुवर्णकरणी और संधानी नामक महौषधी। ये चारों जड़ी-बूटियाँ बहुत ही उपयोगी और दुर्लभ हैं। मृतसञ्जीवनी जड़ी-बूटी मृत व्यक्ति को भी जीवित कर सकती है। विशल्यकरणी जड़ी-बूटी किसी भी प्रकार के घाव को भर सकती है। सुवर्णकरणी जड़ी-बूटी किसी भी धातु को सोने में बदल सकती है। और संधानी जड़ी-बूटी किसी भी प्रकार के जोड़ को जोड़ सकती है।