श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  6.74.28 
 
 
ऋक्षवानरवीराणामनीकानि प्रहर्षय।
विशल्यौ कुरु चाप्येतौ सादितौ रामलक्ष्मणौ॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋक्षवानरवीराणां सेनाएं अभिनंदित हो रही हैं और बाणों से पीड़ित राम और लक्ष्मण के शरीर से बाणों को निकालकर उन्हें स्वस्थ करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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