श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  6.74.25 
 
 
श्रुत्वा हनूमतो वाक्यं तदा विव्यथितेन्द्रिय:।
पुनर्जातमिवात्मानं मन्यते स्मर्क्षपुङ्गव:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  हनुमान जी की बात सुनकर उस समय बाणों के प्रहार से समस्त इन्द्रियाँ पीड़ित ऋक्षराज जाम्बवान ने अपने आपको मानो पुनर्जन्म प्राप्त कर लिया हो ऐसा अनुभव किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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