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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 74: जाम्बवान् के आदेश से हनुमान्जी का हिमालय से दिव्य ओषधियों के पर्वत को लाना और उन ओषधियों की गन्ध से श्रीराम, लक्ष्मण एवं समस्त वानरों का पुनः स्वस्थ होना
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श्लोक 24
श्लोक
6.74.24
ततो वृद्धमुपागम्य विनयेनाभ्यवादयत्।
गृह्य जाम्बवत: पादौ हनूमान् मारुतात्मज:॥ २४॥
अनुवाद
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तब वृद्ध जाम्बवान के समीप जाकर मारुतात्मज हनुमानजी ने विनम्रतापूर्वक प्रणाम किया। जाम्बवान जी के चरण पकड़कर उन्होंने उन्हें नमन किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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