ब्रह्माजी के पुत्र वीर जाम्बवान तो एक ओर पहले से ही स्वाभाविक वृद्धावस्था से युक्त थे, दूसरी ओर उनके शरीर में सैकड़ों बाण भी धँसे हुए थे। इसलिए वे बुझती हुई आग की तरह मंद दिखाई दे रहे थे। उन्हें देखकर विभीषण तुरंत ही उनके पास गए और बोले - "आर्य! क्या इन तीखे बाणों के प्रहार से आपके प्राण निकल तो नहीं गए?"