अद्येन्द्रवैवस्वतविष्णुरुद्र-
साध्याश्च वैश्वानरचन्द्रसूर्या:।
द्रक्ष्यन्ति मे विक्रममप्रमेयं
विष्णोरिवोग्रं बलियज्ञवाटे॥ ७॥
अनुवाद
आज इन्द्र, यम, विष्णु, रुद्र, साध्यों, अग्नि, सूर्य और चंद्रमा स्वयं को बलिवै द्वारा आयोजित यज्ञस्थल में विष्णु भगवान के प्रचंड पराक्रम की तरह देखने वाले हैं और मेरे विराट एवं अजेय बल का साक्षात्कार करेंगे।