श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 73: इन्द्रजित के ब्रह्मास्त्र से वानरसेना सहित श्रीराम और लक्ष्मण का मूर्च्छित होना  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  6.73.41 
 
 
ततस्तु वानरा: सर्वे भिन्नदेहा विचेतस:।
व्यथिता विद्रवन्ति स्म रुधिरेण समुक्षिता:॥ ४१॥
 
 
अनुवाद
 
  परंतु, उनके बाणों से शरीर में भेद हो जाने से वे सारे वानर अचेत-से हो गए और खून से सराबोर होकर वे घबराते हुए इधर-उधर भागने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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