श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 73: इन्द्रजित के ब्रह्मास्त्र से वानरसेना सहित श्रीराम और लक्ष्मण का मूर्च्छित होना  »  श्लोक 23-24h
 
 
श्लोक  6.73.23-24h 
 
 
शस्त्राणि शरपत्राणि समिधोऽथ बिभीतका:॥ २३॥
लोहितानि च वासांसि स्रुवं कार्ष्णायसं तथा।
 
 
अनुवाद
 
  तब शस्त्र ही अग्नि की वेदी के चारों ओर बिछाने के लिए कुश या कास के पत्ते थे। बहेड़े की लकड़ी से ही समिधा का काम लिया गया था। लाल रंग के वस्त्र उपयोग में लाए गए थे और उस आभिचारिक यज्ञ में जो स्रुवा था, वह लोहे का बना हुआ था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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