श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 73: इन्द्रजित के ब्रह्मास्त्र से वानरसेना सहित श्रीराम और लक्ष्मण का मूर्च्छित होना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  6.73.15 
 
 
स शङ्खशशिवर्णेन छत्रेण रिपुसूदन:।
रराज प्रतिपूर्णेन नभश्चन्द्रमसा यथा॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसे पूर्ण चन्द्रमा से उपलक्षित आकाश सुशोभित होता है, उसी प्रकार शंख और चंद्रमा के समान वर्ण वाले सफेद छत्र से इंद्रजित सुशोभित हो रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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