वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध
»
श्लोक 95
श्लोक
6.71.95
तेऽतिकायं समासाद्य कवचे वज्रभूषिते।
भग्नाग्रशल्या: सहसा पेतुर्बाणा महीतले॥ ९५॥
अनुवाद
play_arrowpause
अतिकाय ने अपने वज्रभूषित कवच को धारण किया हुआ था। लक्ष्मण के बाण जब अतिकाय के पास पहुंचते थे, तो वे उसके कवच से टकराकर टूट जाते थे और जमीन पर गिर जाते थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.