श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 95
 
 
श्लोक  6.71.95 
 
 
तेऽतिकायं समासाद्य कवचे वज्रभूषिते।
भग्नाग्रशल्या: सहसा पेतुर्बाणा महीतले॥ ९५॥
 
 
अनुवाद
 
  अतिकाय ने अपने वज्रभूषित कवच को धारण किया हुआ था। लक्ष्मण के बाण जब अतिकाय के पास पहुंचते थे, तो वे उसके कवच से टकराकर टूट जाते थे और जमीन पर गिर जाते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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