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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध
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श्लोक 88-89
श्लोक
6.71.88-89
तावुभावम्बरे बाणावन्योन्यमभिजघ्नतु:।
तेजसा सम्प्रदीप्ताग्रौ क्रुद्धाविव भुजङ्गमौ॥ ८८॥
तावन्योन्यं विनिर्दह्य पेततु: पृथिवीतले॥ ८९॥
अनुवाद
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वे दोनों तीर-बाणों से एक-दूसरे को निशाना बनाकर लड़ने लगे। आकाश में पहुँचते ही वे क्रोधित नागों की तरह आपस में भिड़ गए और एक-दूसरे को जलाते हुए पृथ्वी पर गिर पड़े।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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