श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 68
 
 
श्लोक  6.71.68 
 
 
तं निकृत्तं शरं दृष्ट्वा कृत्तभोगमिवोरगम्।
अतिकायो भृशं क्रुद्ध: पञ्च बाणान् समादधे॥ ६८॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसे किसी विषैले साँप का फन काटकर अलग कर दिया जाय, उसी तरह उस बाण को इस प्रकार से खंडित होते देख अतिकाय अत्यधिक क्रोधित हुआ और उसने अपने धनुष पर पाँच बाण रखे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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