वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध
»
श्लोक 68
श्लोक
6.71.68
तं निकृत्तं शरं दृष्ट्वा कृत्तभोगमिवोरगम्।
अतिकायो भृशं क्रुद्ध: पञ्च बाणान् समादधे॥ ६८॥
अनुवाद
play_arrowpause
जैसे किसी विषैले साँप का फन काटकर अलग कर दिया जाय, उसी तरह उस बाण को इस प्रकार से खंडित होते देख अतिकाय अत्यधिक क्रोधित हुआ और उसने अपने धनुष पर पाँच बाण रखे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.