श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 64
 
 
श्लोक  6.71.64 
 
 
बालेन विष्णुना लोकास्त्रय: क्रान्तास्त्रिविक्रमै:।
लक्ष्मणस्य वच: श्रुत्वा हेतुमत् परमार्थवत्।
अतिकाय: प्रचुक्रोध बाणं चोत्तममाददे॥ ६४॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘भगवान विष्णु ने वामन अवतार में बालक का रूप धारण किया था, लेकिन अपने तीन पगों से उन्होंने सारी तीनों लोकों को नाप लिया था।’ लक्ष्मण की इस तर्कसंगत और सत्य बात को सुनकर अतिकाय का क्रोध बढ़ गया। उसने अपने हाथ में एक उत्तम बाण ले लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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