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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध
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श्लोक 59
श्लोक
6.71.59
कर्मणा सूचयात्मानं न विकत्थितुमर्हसि।
पौरुषेण तु यो युक्त: स तु शूर इति स्मृत:॥ ५९॥
अनुवाद
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कर्म के द्वारा अपनी वीरता का परिचय दे। बड़ी-बड़ी डींगें हांकना तेरे लायक नहीं है। वही सच्चा वीर होता है, जिसके अंदर पुरुषार्थ हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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