श्रुत्वातिकायस्य वच: सरोषं
सगर्वितं संयति राजपुत्र:।
स संचुकोपातिबलो मनस्वी
उवाच वाक्यं च ततो महार्थम्॥ ५७॥
अनुवाद
यहाँ युद्धस्थल में अतिकाय के रोष और गर्व से भरे इस कथन को सुनकर बहुत बलशाली और स्वाभिमानी राजा पुत्र लक्ष्मण क्रोधित हो गए। तब उन्होंने बड़ी अर्थपूर्ण बात कही-।