वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध
»
श्लोक 56
श्लोक
6.71.56
एष ते सर्पसंकाशो बाण: पास्यति शोणितम्।
मृगराज इव क्रुद्धो नागराजस्य शोणितम्।
इत्येवमुक्त्वा संक्रुद्ध: शरं धनुषि संदधे॥ ५६॥
अनुवाद
play_arrowpause
अतिकाय ने क्रोधित होकर कहा, "यह सर्प के समान भयंकर बाण तुम्हारे खून का पान करेगा, जैसे क्रुद्ध हुआ सिंह हाथी के खून को पीता है।" ऐसा कहकर अतिकाय ने अपने धनुष पर बाण चढ़ाया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.