श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 54
 
 
श्लोक  6.71.54 
 
 
अथवा त्वं प्रतिस्तब्धो न निवर्तितुमिच्छसि।
तिष्ठ प्राणान् परित्यज्य गमिष्यसि यमक्षयम्॥ ५४॥
 
 
अनुवाद
 
  अथवा तू अत्यंत अहंकारी है, इसलिए वापस नहीं लौटना चाहता। अच्छा, रुक जा। अभी तू अपने प्राणों का त्याग करके यमलोक की यात्रा करेगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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