श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  6.71.48 
 
 
पूरयन् स महीं सर्वामाकाशं सागरं दिश:।
ज्याशब्दो लक्ष्मणस्योग्रस्त्रासयन् रजनीचरान्॥ ४८॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण जी के धनुष की प्रत्यञ्चा का वह शब्द बहुत भयानक था। वह सारी पृथ्वी, आकाश, समुद्र और सम्पूर्ण दिशाओं में गूंज उठा और राक्षसों को डराने लगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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