ततोऽतिकायो बलवान् प्रविश्य हरिवाहिनीम्।
विस्फारयामास धनुर्ननाद च पुन: पुन:॥ ३७॥
अनुवाद
जब विभिषण और भगवान श्रीराम के बीच ये बातें हो रही थीं, तभी अति बलवान अतिकाय वानरों की सेना में घुस आया और बार-बार गरजना करते हुए अपने धनुष पर तीर लगाये जाने की आवाज़ करता हुआ तीर चलाने लगा।