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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध
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श्लोक 34
श्लोक
6.71.34
वज्रं विष्टम्भितं येन बाणैरिन्द्रस्य धीमता।
पाश: सलिलराजस्य युद्धे प्रतिहतस्तथा॥ ३४॥
अनुवाद
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इस बुद्धिमान राक्षस ने अपने बाणों से इन्द्र के वज्र को भी रोक दिया है और युद्ध में जल के स्वामी वरुण के पाश को भी सफल नहीं होने दिया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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