श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  6.71.32 
 
 
सुरासुरैरवध्यत्वं दत्तमस्मै स्वयंभुवा।
एतच्च कवचं दिव्यं रथश्च रविभास्वर:॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  ब्रह्मा जी ने उसे देवताओं और असुरों द्वारा अजेय रहने का वरदान दिया है। ब्रह्मा जी ने उसे यह दिव्य कवच और सूर्य के समान तेजस्वी रथ भी दिए हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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