वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध
»
श्लोक 22
श्लोक
6.71.22
रक्तकण्ठगुणो धीरो महापर्वतसंनिभ:।
काल: कालमहावक्त्रो मेघस्थ इव भास्कर:॥ २२॥
अनुवाद
play_arrowpause
रे लक्ष्मण! रक्तकण्ठगुण राक्षस बड़े वीर थे और उनका शरीर ऊँचे पर्वत जैसा विशाल था। वे काले रंग के थे और उनके विशाल मुँह काल के मुख के समान भयानक लगता था। उनका प्रकाश भी सूर्य के समान था, जो मेघों से ढके रहते हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.