श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  6.71.18 
 
 
त्रिनतं मेघनिर्ह्रादं हेमपृष्ठमलंकृतम्।
शतक्रतुधनु:प्रख्यं धनुश्चास्य विराजते॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  इस निशाचरका धनुष तीनों जगहों पर झुका हुआ है। इसके पीछे का भाग सोने से मढ़ा हुआ है और फूलों से सजा है। इसकी प्रत्यंचा से मेघों के गरजने के समान टंकार की ध्वनि निकलती है। इस राक्षस का धनुष इंद्रधनुष जैसा सुंदर है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.