श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 115
 
 
श्लोक  6.71.115 
 
 
प्रहर्षयुक्ता बहवस्तु वानरा:
प्रफुल्लपद्मप्रतिमाननास्तदा।
अपूजयँल्लक्ष्मणमिष्टभागिनं
हते रिपौ भीमबले दुरासदे॥ ११५॥
 
 
अनुवाद
 
  उस भयंकर, बलशाली और अजेय शत्रु के मारे जाने पर अनेक वानर हर्ष और उत्साह से भर उठे। उनके मुख प्रफुल्ल कमलों के समान खिल उठे और वे मनचाही विजय प्राप्त करने वाले वीरवर लक्ष्मण की खूब प्रशंसा करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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