श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 111
 
 
श्लोक  6.71.111 
 
 
तच्छिर: सशिरस्त्राणं लक्ष्मणेषुप्रमर्दितम्।
पपात सहसा भूमौ शृङ्गं हिमवतो यथा॥ १११॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण जी के तीर से कटा हुआ राक्षस का वह सिर जिसके ऊपर मुकुट सजा हुआ था, हिमालय के पर्वत शिखर की तरह अचानक पृथ्वी पर गिर पड़ा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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