श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 107
 
 
श्लोक  6.71.107 
 
 
तं लक्ष्मणोत्सृष्टविवृद्धवेगं
समापतन्तं श्वसनोग्रवेगम्।
सुपर्णवज्रोत्तमचित्रपुङ्खं
तदातिकाय: समरे ददर्श॥ १०७॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण द्वारा छोड़ा हुआ वह बाण बहुत ही तेज गति से आ रहा था। इसके पंख गरुड़ पक्षी के समान थे और इन पंखों में हीरे जड़े हुए थे, जिसकी वजह से देखने में अद्भुत लग रहा था। युद्धक्षेत्र में अतिकाय ने उस समय देखा कि वायु की भाँति बहुत तेज गति से वह बाण उसकी ओर आ रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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