श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 106
 
 
श्लोक  6.71.106 
 
 
तं ब्रह्मणोऽस्त्रेण नियुज्य चापे
शरं सपुङ्खं यमदूतकल्पम्।
सौमित्रिरिन्द्रारिसुतस्य तस्य
ससर्ज बाणं युधि वज्रकल्पम्॥ १०६॥
 
 
अनुवाद
 
  सुमित्राकुमार ने जब धनुष पर रखे सुंदर पंखों वाले बाण को ब्रह्मास्त्र मंत्र से अभिमंत्रित किया, तो वह यमदूत के समान भयावह और वज्र के समान अचूक हो गया। उन्होंने युद्ध के मैदान में उस बाण को चलाया, जिसका लक्ष्य इंद्र के शत्रु रावण के पुत्र अतिकाय थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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