श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 105
 
 
श्लोक  6.71.105 
 
 
तस्मिन् वरास्त्रे तु नियुज्यमाने
सौमित्रिणा बाणवरे शिताग्रे।
दिशश्च चन्द्रार्कमहाग्रहाश्च
नभश्च तत्रास ररास चोर्वी॥ १०५॥
 
 
अनुवाद
 
  ब्रह्मास्त्र की शक्ति से संपन्न उस उत्तम बाण को सुमित्रा कुमार लक्ष्मण द्वारा संधान किए जाने पर आकाश-पाताल और सभी दिशाएँ थर्रा उठीं। सूर्य, चंद्रमा और अन्य बड़े-बड़े ग्रह काँपने लगे, और पूरा ब्रह्मांड गूंज उठा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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