श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 71: अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण के द्वारा उसका वध  »  श्लोक 104
 
 
श्लोक  6.71.104 
 
 
ततस्तु वायोर्वचनं निशम्य
सौमित्रिरिन्द्रप्रतिमानवीर्य:।
समादधे बाणमथोग्रवेगं
तद‍्ब्राह्ममस्त्रं सहसा नियुज्य॥ १०४॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण में इन्द्र के समान पराक्रम था। जब उन्होंने वायु देवता के उपर्युक्त वचन सुने, तो उन्होंने सहसा ब्रह्मास्त्र से अभिमंत्रित करके एक भयंकर वेग वाले बाण को धनुष पर रख लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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