श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध  »  श्लोक 67
 
 
श्लोक  6.70.67 
 
 
तस्मिन् हते भ्रातरि रावणस्य
तन्नैर्ऋतानां बलमर्णवाभम्।
त्यक्तायुधं केवलजीवितार्थं
दुद्राव भिन्नार्णवसंनिकाशम्॥ ६७॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के भाई महापार्श्व का वध हो जाने पर, राक्षसों की वह समुद्र के समान विशाल सेना अपने हथियार फेंककर केवल जान बचाने के लिए भागने लगी, मानो महासागर फूटकर सब ओर बहने लगा हो।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे सप्ततितम: सर्ग: ॥ ७ ०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें सत्तरवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ७ ०॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.