श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध  »  श्लोक 60
 
 
श्लोक  6.70.60 
 
 
स कृत्तमूल: सहसेव वृक्ष:
क्षितौ पपात क्षतजोक्षिताङ्ग:।
तां चास्य घोरां यमदण्डकल्पां
गदां प्रगृह्याशु तदा ननाद॥ ६०॥
 
 
अनुवाद
 
  महापार्श्व जड़ से कटे हुए वृक्ष की भाँति सहसा पृथ्वी पर गिर पड़ा। उसके सभी अंग खून से लथपथ हो गए। इस बीच ऋषभ ने उस निशाचर की यमराज के दंड की तरह भयंकर गदा को जल्दी से अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से गर्जना करना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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