श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध  »  श्लोक 52
 
 
श्लोक  6.70.52 
 
 
हेमपट्टपरिक्षिप्तां मांसशोणितफेनिलाम्।
विराजमानां विपुलां शत्रुशोणिततर्पिताम्॥ ५२॥
 
 
अनुवाद
 
  उस रात्रि में सोने का पत्र जड़ा हुआ था। युद्ध के मैदान में पहुँचने पर वह शत्रुओं के रक्त और मांस में सन जाती थी। वह विशाल थी। वह सुन्दर थी और शत्रुओं के रक्त से तृप्त होने वाली थी॥ ५२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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