श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  6.70.44 
 
 
स तस्य पतत: खड्गं तमाच्छिद्य महाकपि:।
ननाद गिरिसंकाशस्त्रासयन् सर्वराक्षसान्॥ ४४॥
 
 
अनुवाद
 
  गिरते हुए राक्षस के खड्ग को छीनकर विशाल पर्वत के समान महाकपि हनुमान जी जोर-जोर से गर्जना करने लगे, जिससे सभी राक्षस भयभीत हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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