श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  6.70.39 
 
 
दिव: क्षिप्तामिवोल्कां तां शक्तिं क्षिप्तामसङ्गताम्।
गृहीत्वा हरिशार्दूलो बभञ्ज च ननाद च॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसे आकाश से किसी उल्कापिंड के गिरने पर उसका वेग कोई रोक नहीं सकता, वैसे ही रावण द्वारा छोड़ी गयी वह भयंकर शक्ति लक्ष्मण की ओर वेग से बढ़ रही थी। लेकिन श्री हनुमान जी ने अपने शरीर में लगने से पहले ही अपने हाथ से उस शक्ति को पकड़कर तोड़ दिया। शक्ति को तोड़ने के बाद उन्होंने जोर से गर्जना की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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