जैसे आकाश से किसी उल्कापिंड के गिरने पर उसका वेग कोई रोक नहीं सकता, वैसे ही रावण द्वारा छोड़ी गयी वह भयंकर शक्ति लक्ष्मण की ओर वेग से बढ़ रही थी। लेकिन श्री हनुमान जी ने अपने शरीर में लगने से पहले ही अपने हाथ से उस शक्ति को पकड़कर तोड़ दिया। शक्ति को तोड़ने के बाद उन्होंने जोर से गर्जना की।